कहानी एक शिवभक्त राजकुमारी की
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कहानी एक शिवभक्त राजकुमारी की


उदालक नामक एक मुनि एक बार एक शिव मंदिर में गये। उस शिव मंदिर में उन्हों ने देखा की राजकुमारी सुंदरी देवी स्वयं शिव मंदिर की सफाई कर रही थी। बाद में उन्होंने मंदिर के बर्तन आदि भी स्वयं साफ किये, यह सब उदालक मुनि ने देखा और उसे आश्चर्य हुआ कि एक राजकुमारी वास्तव में शिव मंदिर की सफाई स्वयं करे इससे अधिक आश्चर्यजनक और क्या होगा ? उन्होंने राजकुमारी सुंदरी देवी से पूछा, 'बेटा, आपके महल में तो अनेको दास दासीयां आपकी सेवा करती है। जो आपकी एक आज्ञा पर सेवा के लिए हाजर हो जायेगी तो फिर यह मंदिर की साफ सफाई का काम तुम उनसे ही क्यूं नहीं करवाती तुम खुद क्यूं कर रही हो क्या मिलता है तुमको इससे ? में जब भी तुम्हे काम करते देखता हूं तब मुझे बड़ा आश्चर्य होता है! 

तब राजकुमारी सुंदरी देवी हंसकर बोली हे महात्मा इसके पीछे एक कथा है। जो में आपको सुनाती हूं जो मेरे पुर्व जन्म से जुडी है। हे महात्मा पूर्व जन्म में एक पक्षीणी (पंख वाला पक्षी) थी। एक दिन मैं भूख से आकुल व्याकुल हो गई थी लेकिन मुझे भोजन नहीं मिला अंत में मैं एक शिव मंदिर में भोजन की तलाश में पहोंच गई थोड़ी देर बाद मुझे कुछ खाने को मिला और में इतनी खुश हो गई की में अपने पंख फड़ फड़ा कर मंदिर में यहां वहां उड़ने लगी और अनयास ही मंदिर की धूल मेरे पंखो से उड़ने लगी और ऐसे ही मैंने अनजाने में मंदिर की सफाई कर दी थी। जिसके फलस्वरूप मरने के बाद मुझे उस जन्म में स्वर्ग की प्राप्ति हुई। स्वर्ग के सुखों को भोगकर फिर में इस धरती पर इस मृत्यु लोक में काशीराज के यहां एक राजकुमारी के रूप में अवतरित हुई हूं।
पिछले जन्म में जाने अनजाने में मेरे पंखों से जो मंदिर की सफाई का कर्म हुआ और उस कारण जो मुझे उत्तम शिवलोक प्राप्त हुआ वो में इस जन्म में भी भूली नहीं हूं। इस लिए मैं अपने इस जन्म को सार्थक करने हेतु इस शिव मंदिर की सफाई करके शिवजी की सेवा कर रही हूं और यह पुण्य काम में अपने आप ही अपने शरीर के द्वारा करना चाहती हूं और शिवजी की सेवा में दिन भर मग्न रहना चाहती हूं। जो स्त्री–पुरुष शिवजी की भक्ति सेवा में लीन रहते है उनको अपने जीवनकाल में कई दिव्य अनुभूतियां होती है और अंत में उन्हें शिवलोक की प्राप्ति हो जाती है।
जो अपने हाथों से शिव मंदिर की सफाई करता है, जो अपने पैरो से शिवदर्शन के लिए यात्रा करता है, जो अपनी आंखों से शिव का दर्शन करता है तथा जो मन से शिवजी का स्मरण करता है उसे सर्व प्रकार के सुख और उतम लोक की प्राप्ति होती है।
इस तरह उदालक मुन्नी को शिवमहिमा का ज्ञान हुआ और वे भी भगवान सदा शिव की महिमा को जान पाए।
।। हर हर महादेव।।


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