ओणम केरल का राष्ट्रीय त्योहार

ओणम केरल का राष्ट्रीय त्योहार

Onam - Indian festival
ओणम केरल का राष्ट्रीय त्योहार
(ONAM POOKALAM) 
(ONAM 2023) 
Onam date 
Onam festival

त्यौहार का अर्थ होता है उत्सव या पर्व यह त्योहार या पर्व हमें एक ही प्रकार कि जीवन शैली और कार्यशैली से घिरे जीवन में उत्साह भर देते है। खास कर अगर हम भारत की बात करे तो यह त्योहारों की जनामस्थली या त्योहारों की नगरी कही जा सकती है। यहां का बच्चा बच्चा भी उत्सवों की राह देखता रहता है, यह बात अलग है कि उसको अपने स्कूल से छुट्टी मिले इस कारण पर्व की राह देख रहा होता हैं। 

फिर भी उत्सव ही एक मात्र कारण है जिसकी वजह से लोग एक दूसरे से निकट आते है चाहे वो संबंधी हो या पड़ोसी सभी अपनी अपनी वेर भावना और कड़वाहटों को भुलाकर उत्सव के समय एक हो जाते है।

भारत के त्यौहारों कि सबसे अच्छी बात तो यह है, की यहां के त्योहार सिर्फ़ देवी देवताओं के महत्त्व या उनके मान में समर्पित नही बल्कि भाई बहन,, मा और बेटे सभी परिजन के लिए है इस लिए उस कारण यहां किसी भी अन्य देश के त्योहार से ज्यादा आनंद आता है।

कोई उत्सव एक दिन का होता है तो कोई दस दिन का पर सभी फेस्टिवल अलग छाप छोड़ जाते हैं। तो कई पर्व ऐसे भी हैं जिसमें देवी देवता साक्षात उपस्थित रहते है और उस त्योहार पर अपना आशिर्वाद प्रदान करते है। 

इस संस्कृति को त्योहारों की संस्कृति कहना भी बिलकुल गलत नहींं होगा, यहाँँ की मिट्टी के कण कण में और संस्कृति में पर्वों का विशेष स्थान है। इतने उत्सवो से घिरे रहने के कारण दुनिया में भारत की दुनिया भर में अलग पहचान बन गई हैं तथा यह दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। क्यूंकि भारत की भूमि में विविध रंग रुप ओर धर्म के लोग बसते है जिस कारण यहां किसी भी देश से आए पर्यटक को अपने देश से दूर होने का एहसास नहीं होता एक अपने पन सा लगता है इस भारत भूमि पर ।

यहां भारत में पूरे साल पर्व या उत्सव यहां नई बात नहीं है। यहां की, हर ॠतु अपने साथ एक प्रमुख त्यौहार जरूर लाती है, चाहे वो winter की ऋतु में आने वाली होली है, या summer के मौसम में मनाया जाने वाला गणगौर हो या मॉनसून में मनाया जाने वाली जन्माष्टमी का पर्व यह सभी उत्सव लोगो को जोड़ने का काम करते है। हिंदु धर्म में भी शास्त्रों में इनका विशेष धर्मिक महत्त्व भी हैं।

कुछ उत्सव किसी राज्य में तो कुछ ऐसे त्योहार है जो भारत भर में मनाए जाते हैं। इस लिए भारत त्योहारों की कैपिटल माना जाता है। 

यहां त्योहारों का अपना एक अलग ही महत्व है चाहे वो धार्मिक हो या वैज्ञानिक तौर पे। कई त्योहार तो ऐसे भी है जो कई हज़ारों वर्षो पूर्व से मनाए जा रहे है। यह त्योहार हमारे जीवन को हर्ष और उल्लास से भर देते है।
आज बात करते है भारत में मनाए जाने वाले केरल के सबसे पवित्र त्योहार ओणम की।

ये केरल का एक प्रमुख त्योहार है जिसे केरल में राष्ट्रीय फेस्टिवल की तरह मनाया जाता है।
ओणम का त्यौहार SEPTEMEBER महीने में राजा महाबली के सम्मान में हर साल आयोजित किया जाता हैं जो दस दिनों तक चलता है। 

पूकलाम (Pooklam)

त्योहार त्रिक्काकरा, (कोच्ची के पास बसा गांव) केरल में बसे मात्र वामन से प्रारंभ होता है। ओणम के दौरान घर - घर आँगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुुंदर (पुकलाम) रंगोली बनाई जाती हैं।

महिलाएं उस रंगोली के चारों तरफ एक गोल घेरा बनाकर उल्लास से नृत्य (तिरुवाथिरा कलि) करती हैं। 


इस पूकलम का स्वरूप प्रारंभिक (अथम के दिन) छोटा होता है परन्तु हर दस दिनों तक हर रोज यह बढ़ता जाता है। इस तरह बढ़ते बढ़ते यह उत्सव दसवें दिन (तिरुवोनम) यह पूकलम अपना मूल आकार धारण कर लेता है। 


इस पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली तथा उसके अंग रक्षकों (जय - विजय) की प्रतिष्ठा होती है जो कच्ची मिटटी से बनायीं जाती है। 

 
वल्लम काली (Vallam Kaali)

ओणम के दौरान नोका दौड जैसे खेलों का आयोजन भी किया जाता है। ओणम एक तरह से ख़ुशहाली से भरा हुआ त्योहार है। जो सभी के घरों को दीवाली जैसी रोनक से भर देता है।


ओणम के दौरान नौका दौड़ ओणम की परम्पागत परंपराओ में से एक है। नौका दौड़ को यहां वल्लम काली के रूप में जाना जाता है, यह केरल के कई मशहूर नदियों में आयोजित की जाती हैं। 
इस आइकॉनिक रेस में बोट से लेकर कैनो तथा पैडल्ड वाली लंबी नावों का इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी में से कुछ बोट ऐसी जो काफी लोकप्रिय है जैसे कि अलाप्पुझा में स्नेक बोट, चुंदन वल्लम रेस जिसको नेहरू ट्रॉफी बोट रेस के नाम से जाना जाता है, 
यह प्रतिष्ठित बॉट्स ट्रॉफी जीतने के लिए 1.4 किलोमीटर लंबे रेस कोर्स को पार करते हैं।

                                
ओणम के अन्य आकर्षण
  (ओणम का गीत और नृत्य थिरवाथिरा काली)


अन्य त्योहार जैसे की होली - नवरात्रिकी तरह, ओणम भी गीत और नृत्य के धूम धाम के साथ मनाया जाता है। ओणम का पारंपरिक थिरवाथिरा काली नृत्य, जहां महिलाए समूह में विभिन्न पारंपरिक लोक गीतों की ताल पर नृत्य करती है जो वहां विशेष रूप से लोकप्रिय है।
 
थोड़ा विचित्र लेकिन उत्सुकता जगाने वाला है पुली काली (बाघ नृत्य) जिसमें लोग बाघ या तेंदुए कपड़ों,वाद्ययंत्रों एवम् अपने शरीर पर मेकअप चित्रित कर के सड़कों पर नृत्य करते हैं।  सच मानिए यह देखने में काफी रोमांचक लगता है ना कि भयानक।

ओणम साध्या (Onam Sadhya)

 

कोई भी त्योहार भोग या स्वादिष्ट व्यंजन के बिना पूरा नहीं होता है, और ओणम जैसा त्योहार बिलकुल नहीं। 
ओणम के दौरान कई प्रकार के व्यंजन उत्सव के दस दिनों तक घर घर में बनाएं जाते हैं।

इस पारंपरिक दावत को ओनाध्या या ओणम साध्या (दावत) कहते हैं जिस में बहुत सारे लोग शामिल होंगे । 
यह दावत शुद्ध शाकाहारी, पारंपरिक एवम् केले के पत्ते पर परोसे जाने वाले 20 से 30 व्यंजनो से शुरू होती हैं, जो ओणम के सबसे प्रमुख हिस्सों में से एक है। 

इस दावत में मुख्य पकवान चावल के साथ, नारियल (जिसमें राज्य प्रचुर मात्रा में होता है) और साथ में दाल तथा सब्जी की एक किस्म शामिल होती है जो परंपरा और स्वाद से भरपूर होता है।





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