नवरात्री एक ऐसा त्यौहार है जो खुशी और देवी की उपासना और उनकी मौजूदगी का एहसास इन नौ दिनों में हमें जरूर कराता हैं। चाहें फिर वो चैत्री नवरात्री हो या आसो मास की नवरात्री। इन दिनों हम मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते है और असत्य कि सत्य पर विजय का उत्सव मनाते है।मां नवदुर्गा के यह सिद्ध मंत्र जाप नियमित करने से आपके जीवन में सुख और शांति बनी रहती हैं।
माता सदैव आपकी और आपके परिवार की रक्षा करती है, माता के कई रूप है सभी रुप मनोवांछित फल प्रदान करने वाले और मन को शांति प्रदान करने वाले हैं।
इनकी पूजा आराधना करने से जीवन की सभी जरूरतों और आशाओं की पूर्ति तुरंत ही हो जाती है।
पर क्या आप जानते हैं मां दुर्गा के वो कोन कौनसे रूप हैं। जो उन्होंने रक्षासो के संहार हेतु लिए थे एवम् ,माता दुर्गा के इन नौ रूपों का महत्व क्या है ?
तो आइये जानते है मां के उन रूपो ९ रूपों के बारे में।

माता सदैव आपकी और आपके परिवार की रक्षा करती है, माता के कई रूप है सभी रुप मनोवांछित फल प्रदान करने वाले और मन को शांति प्रदान करने वाले हैं।
इनकी पूजा आराधना करने से जीवन की सभी जरूरतों और आशाओं की पूर्ति तुरंत ही हो जाती है।
पर क्या आप जानते हैं मां दुर्गा के वो कोन कौनसे रूप हैं। जो उन्होंने रक्षासो के संहार हेतु लिए थे एवम् ,माता दुर्गा के इन नौ रूपों का महत्व क्या है ?
तो आइये जानते है मां के उन रूपो ९ रूपों के बारे में।
1. मां शैलपुत्री

मंत्र : वंदे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशंस्विनिम।।
मां नव दुर्गा का प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री का है। मां का यह नाम इस लिए पड़ा कियूंकी स्वयंम पर्वत राज हिमालय इनके पिता थे इीलिए इनको इनको शैलपुत्री कहा गया। यह वृषभ पर सवार है और अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल एवम् बाएं हाथ में कमल पुष्प धारण किए हुए हैं। मां का यह सर्व प्रथम रूप है इसलिए नवरात्रि पूजन में पहले दिन इन्हीं का आराधन होता है।
2. मां ब्रह्मचारिणी

मंत्र : दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां नवदुर्गा का दूसरा दिव्य स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का है। जहां ब्रह्मा का अर्थ तपस्या एवम् ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ घोर तप। यानि संसार में रह कर भी घोर तप का पालन करने वाली। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण दिव्य एवम् अत्यंत मोहक है। देवी के बाएं हाथ में कमण्डल और दाएं में जप माला है। मां का यह रुप उनके भक्तों को सिद्धि तथा अनंत फल प्रदान करने वाला है। मां नवदुर्गा के इस स्वरुप की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, ब्रह्मचर्य और संयम जैसे गुणों की वृद्धि होती है। नवरात्री के दूसरे दिन इन्हीं की उपासना की जाती है। यह देवी साधकों को विशेष फल प्रदान करने वाली है।
3. मां चंद्रघण्टा
मंत्र : पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
मंत्र : सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे।।
5. मां स्कन्दमाता
मंत्र : सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
6. मां कात्यायनी
मंत्र : चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
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