सूर्य नमस्कार के १२ आसन का लाभ!
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सूर्य नमस्कार के १२ आसन का लाभ!

✡ सूर्य नमस्कार के १२ आसन और जानीए उसके लाभ! 


▶क्या सूर्यनमस्कार करना शरीर के लिए फायदेमंद है ? 


क्या होते है सूर्यनमस्कर के लाभ ? 


क्या है सूर्य नमस्कार  करने का सही तरीका ?


सूर्य नमस्कार के दौरान कोन से मंत्रो का करें उच्चारण ? 


क्या COVID -19 जैसी बीमारियों में योग फायदेमंद साबित हो सकता है ?


--> सूर्य नमस्कार जीवन शैली को संपूर्ण रूप से कैसे बदल सकता है? सूर्य अनादिकाल से धरती पर आध्यात्मिकता और जीवन ऊर्जा का स्रोत रहा है। सूर्य देव का महत्व, मिस्र, एज़्टेक, तिब्बती और भारतीय संस्कृतीयो से पता लगाया जा सकता है जहां भारत में इनको देवता का दर्जा दिया गया है।


--> धार्मिक भावनाओं के अलावा, वैज्ञानिक कारणों से भी सूर्य का दर्जा अती महत्व का है - जिसके बिना यहां जीवन नहीं चल सकता था। खुद के लिए दिया दिन का सिर्फ 10 मिनट का समय आपका जीवन शैली मे भरी बदलाव ला सकता है। 


--> सूर्य नमस्कार, मानव शरीर मे अनुशासन एवम् निर्णायक दृढ़ता को निखारता है। इसके अनेकों फायदे होने के बावजूद, आज लोग १० का समय भी अपने शरीर को नही देते है - आज के इस compitition से भरे युग मे मानव सिर्फ अंधी दौड़ लगा रहा है और ना तो वे अध्यात्म की देख रहा है और नाही अपने आपके लिए थोड़ा समय निकाल पा रहा है।


--> इस गतिशील एवम् व्यस्त जीवशैली में सूर्य नमस्कार स्थिरता प्रदान करता है। यह शरीर के लिए जीम एवम् अन्य कसरतों से १००० गुना ज्यादा असरकारक है। यहां हमने आपके सामने कुछ स्पोर्ट्स से जुड़े खेलो के दौरान १ घंटे में होने वाली कैलरी बर्न के अनुमानित रिजल्ट रखे है। टेनिस 212 कैलोरी, फुटबॉल 302 कैलोरी, रॉक क्लाइम्बिंग 380 कैलोरी और 1420 कैलोरी जलती है। जबकि सूर्य नमस्कार कितनी कैलोरी जलाता है? 422


--> सूर्य नमस्कार, पीठ, मांसपेशियों को मजबूत बनाने एवम्, Blood sugar level को नीचे लाता है। यह Metabolism and blood circulation (इसलिए, एक चमकदार त्वचा) मे  सुधार लाता है  तथा महिलााओं के अनियमित मासिक धर्म को रोकता है।


⚛सूर्य नमस्कार के १२ आसन





1. प्रणाम आसन

प्रार्थना की स्तिथि में दोनों हाथों को जोड़ कर प्रणाम मुद्रा द्वारा नमस्कार यह सूर्य नमस्कर की शुरूआत है। इसके बाद अपने दोनों पैरों से स्ट्रेट (सीधा) खड़े हो जाएँ। गहराई से श्वास लें, तथा अपनी छाती फैलाए और अपने दोनों कंधों को विश्राम मुद्रा में छोड़ दे। श्वास अंदर की ओर लेते समय अपने हाथों के जोर से भुजाओं को ऊपर उठाएं। साँस छोड़ते समय, अपनी हथेलियों को साथ में मिलाएं।

मंत्र : ॐ मित्राय नमः|

( जो सबका मित्र है। )


2. हस्तउत्तानासन 

हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में जोड़ र तथा धीमे - धीमे श्वास लें और अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं एवम् थोड़ा पीछे झुकें। आपके Biceps ( मछलियां ) कानों के पास रखें। आपके शरीर को पीछे खींचते हुए, पूरे शरीर को पीछे खींचकर, अपने Buttocks ( नितंबों ) को मोड़कर बैठना है। 

मंत्र : ॐ रवये नमः।

( जो प्रकाशमान और हर हमेशा उज्जवलित है। )


3. हस्तपाद आसन

शुरूआत करें सांस छोड़कर कमर से आगे झुकें। नीचे झुककर जमीन को स्पर्श करें ध्यान रखें रीढ़ को सीधा रखें। लास्ट में साँस छोड़के धीरे-धीरे पूर्ण नॉर्मल स्तिथि में लोटे। 

मंत्र : ॐ सूर्याय नम:।

( जो अंधकार को मिटा के जीवन को गतिशील बनाता है। ) 


4. अश्व संचालन आसन 

सांस छोड़ें, शरीर को जमीन रहने दे तथा अपने हाथों को बगल में रखें, एवम् दाहिने घुटने को छाती की ओर मोड़ें तथा बाएं पैर को पीछे खिंचाव दें।

मंत्र : ॐ भानवे नमः।

( जो सदैव प्रकाशित रहता है। )


5. दंडासन

अब श्वास रोक के, दाहिने पैर को भी पीछे घुमाकर, संपूर्ण शरीर को जमीन पर Parallel रूप से प्रस्थापित करेें।

मंत्र : ॐ खगाय नमः।

( वह जो सर्वव्यापी है और आकाश में स्तिथ / घूमता रहता है। )


6. अष्टांग नमस्कार

इसमें शरीर के आठ भागों का उपयोग किया जाता है। इस आसन को करने के लिए दंडासन  के बाद अपने घुटनों को जमीन की ऑर रखें एवम् अपनी साँस छोड़ें। इसके बाद ठोड़ी को जमीन पर विश्राम मुद्रा में लाए, अपने गले को हाथों की मदद से कमर से उठाए रखें। इस आसन मे आपके शरीर के आंठ हिस्से काम करते हुए देखे जा सकते है।

मंत्र : ॐ पूष्णे नमः।

( वह जीवन पोषण करता है और जीवन में पूर्ति लाता है। )


7. भुजंगासन 

नाग जैसी शरीर की स्तिथि इस आसन में देखी जा सकती हैं। आपकी छाती और धड़ को जमीन से 90 डिग्री के कोण पर रखें। पैर और शरीर का बीच का भाग जमीन पर फ्लेट रहते है। इस आसन को करने k समय ध्यान रखें आप अपनी यथा शक्ति के मुताबिक ही जोर लगाए ज्यादा कोशिश ना करें।

मंत्र : ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।

( जिसका स्वर्ण के भांति रंग है। )


8. पर्वतासन

भुजंगासन से परवतानासन पर लौटें। हाथों और पैरों को जमीन पे रखे, अब धीरे-धीरे शरीर के बीच के भाग को ऊपर उठाएं। पर्वतासन में सांस छोड़ें। 

मंत्र : ॐ मरीचये नमः।

( वह जो अपनी अनेक किरणों से प्रकाश देता है। )


9. अश्वसंचालन आसन

अब अश्व संचलानासन। यह आसन 4 वें चरण से विपरीत है। अपना right पैर को आगे लाए जबकि left पैर को पीछे अपनी मूल स्थिति में ले जाए। 

मंत्र : ॐ आदित्याय नम:।

( अदिति ( ब्रम्हांड की माता ) का पुत्र। )


10. हस्तपाद आसन

इसके बाद अपने right पैर को आगे, दाहिने पैर के पास में रखकर साँस छोडें। अब आपके हाथों की पोजिशन को Intact रखते हुए, अपने शरीर को उठाते हुए हस्त पादासन में प्रवेश करे।

मंत्र : ॐ सवित्रे नमः।

( जो इस धरती पर सर्वत्र है। )


11. हस्तउत्थान आसन

पुनः श्वास अंदर ले, एवम् हाथों को आकाश की ओर उठाएं और पीछे झुककर अर्ध चक्र आसन मुद्रा में प्रवेश करें।

मंत्र : ॐ अर्काय नमः।

( जो प्रशंसा एवम् महिमा गाने के योग्य है। )


12. प्राणायाम आसन 

इस अंतिम आसन में, साँस छोड़ कर नमस्कार मुद्रा में खड़े हों जाएँ। इस तरह आप सूर्य नमस्कार कर सकते हैं। इस आसन के बार बार अभ्यास से सर्वाधिक लाभ प्राप्त करे।

मंत्र : ॐ भास्कराय नमः।

( जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड को ज्ञान एवम् प्रकाश को देने वाला है। )










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